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जैसी सोच वैसा वक्त
जैसी सोच वैसा वक्त
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सोचे मीनाक्षी

पत्नी भी भागे ऑफिस, पति देव भी दौड़े ऑफिस

लिए सपने आंखों में, बच्चों का फयूचर बन जाएगा

साय: होते ही आंखो के तारे, प्यारे निहारे सारी गलियां

मां के आंचल से लगकर बातों का जमघट लग जाएगा

हाय टूटे मन-तन से आते हुए घर पर

सोचा न था स्ट्रेस सारा बच्चों पर बरस जाएगा

अब तो सोचे मीनाक्षी छोड़ो, दौड़ाभागी प्रतिदिन की

ऐसे तो प्रेसेंट हमारा विषैला बन जाएगा————————

तू भी बैठे कुर्सी पे, मैं भी बैठुं कुर्सी पे

बड़े छोटे होने से, क्या हांसिल हो जाएगा

नौकर हूं मैं सरकारी तो तू भी हैं सरकारी नौकर

अफसर बनने से तू क्या खुदा ही बन जाएगा

बढ़ रहा है जो तू आगे, तो कर रही हूं मैं भी कोशिश

मेरा खून पीकर क्या तू  कुछ वनडर कर जाएगा

अब तो सोचे मीनाक्षी छोड़ो सरदर्दी प्रतिदिन की

ऐसे तो मेरा बीपी शूट अप हो जाएगा———

खो रहा है कुछ मुझसे, तो पाया भी है बहुत मैने

ऐसे गिफटों में मेरा अव्वल नंबर आएगा

छोटी-छोटी इच्छा से तो बेहतर कुछ महान करना

इससे मरने के बाद भी जग तेरे गीत गाएगा

वो पाना-पाना है मृगतृष्णा प्यारे, कुछ देगा तो

सुख सारे दुनिया के तू भी पाएगा

अब तो सोचे मीनाक्षी, यार इस कलयुग में

मीठी नींद मिल जाए तो कमाल हो जाएगा——

मीनाक्षीभसीन 6-08-15© सर्वाधिकार सुरक्षित

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