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न जाने कहां मेरी फाईल खो गई

जैसी सोच वैसा वक्त
जैसी सोच वैसा वक्त
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पिछले सात वर्षों से सरकारी नौकरी कर रही हूं। कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। मैं यह नहीं कह रही हूं कि सब सरकारी लोग एक जैसे होते हैं। किन्तु कुछ परेशानियां सभी दफतरों में एकसमान रुप से सभी झेल रहे होते हैं और तो और आस-पास भी हर जगह लोग सरकारी दफतरों में अपने कटु अनुभवों की चर्चा करते हुए देखे जा सकते हैं। आज आखिरकर मैने अपने लेखनी में इन्हें उतारने की कोशिश की है।

न जाने कहां मेरी फाईल खो गई

मुझे नींद न आए, मुझे चैन न आए, मुझे चैन न आए—-
न जाने कहां मेरी फाईल खो गई, न जाने कहां मेरी फाईल खो गई–
सरकारी दफतर में पाकर नौकरी तो जैसे मेरी तकदीर ही सो गई न जाने कहां मेरी फाईल खो गई–

जब भी कोई दूं एप्लीकेशन
मेडीकल, एलटीसी लेने की
इतनी हलचल रहती दिल में
रहती न मैं फिर सोने की
अरे कोई ढूंढ के लाए— अरे कोई आगे बढाए—– न जाने कहां मेरी फाईल खो गई–

सब कहते हैं, बहुत काम है
टाईम मिले न बतियाने का
फाईलों के ढेर, टेबल पे सजा के
ठेका मिला इन्हें, सीट से गायब हो जाने का
मेरा तन मन कांपे
जाने क्या-क्या भांपे———— न जाने कहां मेरी फाईल खो गई–

कोसू खुदा को, अरे खुदा
क्यों मेरा ये एक्सीडेंट हुआ
तन का दर्द तो सह लूंगी मैं
पर बैचेनी का यह रोग बुरा
चोरी पर ये सीनाजोरी इनकी ———— न जाने कहां मेरी फाईल खो गई–

तीन महीने पहले, दे दूं आवेदन
एल टी सी पे जाने का
पर तीन सौ बार गुम हो जाए मेरा कागज
मन न माने अब तो खाने का
कहां कम्पलैंट लिखाउं, कहां फरियाद सुनाउ—– न जाने कहां मेरी फाईल खो गई–

मिली है सर्विस सरकारी, तो कदर तो इसकी जानो तुम
सहने पड़ते तुमको फांके, एहसान खुदा का मानो तुम
अरे कोई जुगत लगाओ
इनकी आत्मा को जगाओ——- न जाने कहां मेरी फाईल खो गई–

आपकी प्रतिक्रियाओं का मुझे इंतजार रहेगा——-
मीनाक्षी भसीन 13-08-14© सर्वाधिकार सुरक्षित

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