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बच्चों से सीखिए जीवन जीने के गुरुमंत्र

जैसी सोच वैसा वक्त
जैसी सोच वैसा वक्त
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रोज-रोज एक ही दिनचर्या रहती है हम सब की। घर से ऑफिस, और ऑफिस से घर यानि दोगुनी टेंशन। इन बातों से गुजरते हुए जब घर में टी-वी ऑन करो तो हर दूसरे चैनल पर सजे-धजे बाबाओं का मेला लगा रहता है जो हमें जीवन जीने की कला सिखाने का प्रयास कर रहे होते हैं। ये सभी ज्ञान का सागर हैं पर जो ये कहना चाहते हैं वो बातें तो हमारे बच्चे हमें हर पल सिखाने की कोशिश कर रहे होते हैं। मेरा बेटा दीपांश मात्र चार साल का है। वो भोलेपन में ऐसी-ऐसी बातें करता है, अगर उस पर चिंतन किया जाए तो उसी से मैं बहुत कुछ सीख सकती हूं। मैने तो अपने जीवन के इस पड़ाव पर उसे ही अपने ग़रु का दर्जा दे दिया है। वह मुझे उन किताबी बातों को जीवन में उतारने के लिए बार-बार उकसाता है।जो मैने सिर्फ पड़ी हैं और याद की हैं किन्तु उनका व्यवहारिक रुप से प्रयोग नहीं किया। याद रखिए बच्चे आपकी सही बातें तभी मानेगें यदि वो आपको उन बातों पर अमल करता देखेगें। आप खुद इतना झूठ बोलते हैं, बेईमानी करते हैं, काम को टालते हैं, मन में द्वेष रखते हैं, दूसरों को बुरा-भला कहते हैं, नित नई चीजों के पीछे भागते हैं———तो आप कैसे अपने बच्चों को इन बातों से दूर रहने के लिए कह सकते हैं। अपने बढ़ती हुई उर्म पर मत जाइए बच्चों के साफ दिल को पहचानिए और उनसे सीखिए जीवन जीने के नित नए गुरुमंत्र। मेरी यह कविता मेरे बच्चों से प्रेरित होकर मैने लिखी है और यह दुनिया के सभी बच्चों को समर्पित है।

सीख बच्चों से

एक रात मन में भरी थी टेंशन
भागी हुई थी नींद
विचारों का चल रहा था मेला
गुस्सा भी बन बैठा ढीठ

उठ कर बैठ के देखा मेरे सो रहे थे लाल
उनके चेहरे,मेरे चेहरे में फर्क था बड़ा कमाल
तभी कलम चली मीनाक्षी की
लिख डाला यही धमाल

क्यों बच्चे लगते हैं सुंदर
बिन मेकअप बिन चमचम के
लीपा-थोपी कर लें हम जितनी
लगते फिर भी हम बेरंग से
किंडर जवाए झूलों से ही
स्वर्ग की खुशी पाए बच्चे
हम चाहे महल, करोड़ कमा ले
रह न पाए खुद से सच्चे

जितना मर्जी लड़े, ये आपस में
पल में हंसने गाने लगते
हम तो नेगेटिव बातों से ही
अपने मन को भरते जाते
न द्वेष, न जलन इनके दिल में
न कोई है कम्पीटीशन
जीवन की छोटी-छोटी बातों में भी
ढूंढ लेते है ये फन

हम क्यों आखिर बड़े हो जाते
हम क्यों बच्चों जैसे नहीं बन जाते
हम क्या सिखाएगें इनको
इनसे सीखो सीख
कॉपी कर लो इनकी बातें
तो नहीं मांगोंगे खुशियों की भीख
इनकी प्यारी मासूमियम को निहार निहार कर
अब सोनू की मैं करु तैयारी
अगर आप भी सहमत हैं इससे, तो मेहनत मेरी बेकार न जाए सारी—
© सर्वाधिकार सुरक्षित -मीनाक्षी 8-08-14

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