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आजकल सब कितना आर्टिफिशल होता जा रहा है। आपक कितने अच्छे दिखते हैं कितने मार्डन कपड़े पहनते हैं कैसे अंग्रेजी में बात करते हैं और कितना स्टाईल है आपमें बस पर अंदर से कितने खोखले हो चुके हैं इससे हमें कोई फर्क नहीं पढ़ता भई मेरे लिए तो मैट्रो का सफर बड़ा दिलचस्प होता है हर रोज कुछ न कुछ मेरे अंतर्मन को कचोटता है और मैं अपनी कलम को रोक ही नहीं पाती। भई लड़कियां फैशन करें इससे मुझे कोई एतराज नहीं पर भई थोड़ा ध्यान अपने चेहरे के हाव भाव पर भी डाल लोगे तो क्या बिगड़ जाएगा। पुरुषों को तो छोड़ो लैडिज डिब्बे में एक दूसरे को बैठाने में तो इन्हें इतनी ज्यादा शर्मिन्दगी होती है जैसे इनके चेहरे की चमक धमक ही बिगड़ जाएगी अपने पर्स और थैले के लिए अलग सीट ले लेती हैं किसी बुजर्ग या कोई महिला अगर इनसे थोड़ा अडजस्ट होने को कह देती है तो इनके चेहरे पर आने वाली शिकन का तो कोई जवाब ही नहीं होता बड़ी ढीठाई दिखाते हुए यह टस से मस ही नहीं होती जरा सोचिए चाहे ये कितनी ही सुंदर क्यों न लग रही हों चाहे कितने ही किताबे पढ़ रही हों या मार्डन होने के लिए कोशिश कर रही हों पर इनकी सुंदरता तो बिल्कुल याद ही नहीं रहती हमें तो यह याद रहता है कि किसने कब कहां कैसे हमारे साथ अच्छा या बुरा व्यवहार किया था आधुनिक बन रहे हो तो अपने विचारों को खुला बनाओ, भाव भंगिमाओं में कशिश लाओ यह कविता इनके नाम———— तो
बड़े नाम का मतलब बढ़िया काम नहीं होता
चमक धमक के पीछे भागने से कोई लाभ नहीं होता
अच्छे विचारों से ही आ जाती है चेहरे पर चमक
पाउडर क्रीम थोपने से चेहरा बेदाग नहीं होता
दिल की सफाई से ही उतर आती है ऑंखों में अच्छाई
कॉजल और आई लाईनर की बदौलत ही कोई आप पर निहाल नहीं होता
मैने आज मन बनाया कुछ आर्टिफिशल करने का
अपर सोसाईटी की प्लास्टिक बयूटी की नकल करने का
करती न ऐसा तो आज मेरा ये बेहाल न हुआ होता
सितारों के पोस्टर लगाकर आपने सोचा आप पहॅचा ही देगें हमें सितारों पर
हमने सीखा ही नहीं चलना दुनिया के इशारों पर
मन वचन में भेद रखने से तो कोई धनवान नहीं होता
मीनाक्षी भसीन
1-08-14
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